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हिमपात / अनिल जनविजय

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{{KKRachna
|रचनाकार=अनिल जनविजय
|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे
}}

अंधेरे को

रोशनी में बदलने की

कोशिश करते रहे


रात भर

दूध-से सफ़ेद

चीनी के दाने

पृथ्वी पर गिरते रहे
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