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पी जा हर अपमान / बालस्वरूप राही
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09:25, 6 जुलाई 2013
पी जा हर अपमान और कुछ चारा भी तो नहीं !
तूने
स्वाभीमान
स्वाभिमान
से जीना चाहा यही ग़लत था
कहाँ पक्ष में तेरे किसी समझ वाले का मत था
केवल तेरे ही अधरों पर कड़वा स्वाद नहीं है
Sharda suman
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