Changes

{{KKAnthologyRam}}
<poem>
भजो रे भैया राम गोविंद हरी ।<br>राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥<br><br>
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥<br>संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥<br>कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥<br><br>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits