}}
{{KKShayar}}
* [[ देखें क्या अब के असीरी हमें दिखलाती है / मिर्ज़ा मोहम्मद तकी 'हवस']]* [[हँसते थे मेरे हाल को जो यार देख कर / मिर्ज़ा मोहम्मद तकी 'हवस']]* [[हरगिज़ ने मेरे महरम-ए-हम-राज़ हुए तुम / मिर्ज़ा मोहम्मद तकी 'हवस']]* [[जंगलों में जुस्तुजू-ए-कैस-ए-सहराई करूँ / मिर्ज़ा मोहम्मद तकी 'हवस']]* [[जवानी याद हम को अपनी फिर बे-इख़्तियार आई / मिर्ज़ा मोहम्मद तकी 'हवस']]* [[क्या मज़ा हो जो किसी से तुझे उल्फ़त हो जाए / मिर्ज़ा मोहम्मद तकी 'हवस']]