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गांव का महाजन / केदारनाथ अग्रवाल
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06:34, 9 जुलाई 2013
सूड़ लपेटे है कर्जे की ग्रामीणों को,
मुक्ति अभी तक नहीं मिली है इन
दीनो
दीनों
को!
इन दीनों के ऋण का रोकड़-कांड बड़ा है,
अब भी किंतु अछूता शोषण-कांड पड़ा है।
</poem>
Sharda suman
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