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चांद का कुर्ता / रामधारी सिंह "दिनकर"
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09:42, 9 जुलाई 2013
लेकिन तू तो एक नाप में कभी नहीं रहता है
पूरा कभी, कभी आधा, बिलकुल न कभी दिखता है"
"आहा माँ ! फिर तो हर दिन की मेरी नाप लिवा दे
एक नहीं पूरे पंद्रह तू कुर्ते मुझे सिला दे."
</poem>
Sharda suman
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