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शासन की बंदूक / नागार्जुन
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12:07, 10 जुलाई 2013
जिसमें कानी हो गई शासन की बंदूक
बढ़ी बधिरता
दसगुनी
दस गुनी
, बने विनोबा मूक
धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक
जली ठूँठ पर बैठकर गई कोकिला कूक
बाल न बाँका कर सकी शासन की बंदूक
'''रचनाकाल : 1966
</poem>
रचनाकाल: 1966
Sharda suman
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