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नौका-विहार / सुमित्रानंदन पंत
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20:43, 22 अक्टूबर 2007
दो बाहों से दूरस्थ तीर <br>
धारा का कृश कोमल शरीर<br>
आलिंगन करने को अधीर!
v
<br>
अति दूर, क्षितिज पर <br>
विटप-माल लगती भ्रू-रेखा अराल,<br>
Pratishtha
KKSahayogi,
प्रशासक
,
प्रबंधक
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