{{KKRachna
|रचनाकार=ओम निश्चल
|संग्रह=शब्द सक्रिय हैं/ ओम निश्चल
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<Poem>
फूलों के गॉंवगाँवफसलों के गॉंवगाँवआओ चलें गीतों के गॉंव।गाँव।
महके कोई रह रह के फूल
बहती हुई अल्हड़ नदी
ढहते हुए यादों के कूल
चंदा के गॉंवगाँवसूरज के गॉंवगाँवआओ चलें तारों के गॉंव।गाँव।
पीपल के पात महुए के पात
ऑंचल आँचल भरे हर पल सौगात
सावन झरे मोती के बूँद
फागुनी धूप सहलाए गात
पीपल की छॉंवछाँवनिबिया की छॉंवछाँवआओ चलें सुख-दुख की छॉंव।छाँव।
नदिया का जल पोखर का जल
अब भी नहीं होते ओझल
भटकें नहीं
लहरों के पॉंवपाँव
आओ चलें रिश्तों की नाव।
<Poem>