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10:58, 22 अगस्त 2013 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार='कैफ़' भोपाली
|संग्रह=
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<poem>
तुझे कौन जानता था मेरी दोस्ती से पहले
तेरा हुस्न कुछ नहीं था मेरी शाएरी से पहले
इधर आ रक़ीब मेरे मैं तुझे गले लगा लूँ
मेरा इश्क़ बे-मज़ा था तेरी दुश्मनी से पहले
कई इंक़िलाब आए कई ख़ुश-ख़िराब गुज़रे
न उठी मगर क़यामत तेरी कम-सिनी से पहले
मेरी सुब्ह के सितारे तुझे ढूँढती हैं आँखें
कहीं रात डस न जाए तेरी रौशनी से पहले
</poem>
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