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|रचनाकार=रति सक्सेना
}}
{{KKCatKavita}}<poem>इधर कुछ दिनों से सपने ने<br>दरवाजा नहीं खटखटाया<br>मेरे फोन की घंटी नहीं बजी<br>सपने को शायद <br>नंबर नहीं मालूम था<br>सोचा कि ई-मेल भेज<br>हालचाल पूछ लूँ सपने की<br>न जाने कहाँ खो गया आई डी<br>सपने के साथ-साथ<br>खटखटाता कैसे दरवाजा?<br>मेरे पास दरवाजा जो न था<br>
न जाने कब और कैसे मेरे घर का दरवाजा ही खो गया
</poem>