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जो बात तुझ में है, तेरी तस्वीर में नहीं / साहिर लुधियानवी
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18:56, 3 नवम्बर 2007
साँसों की आग, जिस्म की ख़ुशबू न ढल सकी
तुझ में
जोलोच
जो लोच
है, मेरी तहरीर में नहीं
दुनिया में कोई चीज़ नहीं है तेरी तरह
फिर एक बार सामने
आजा
आ जा
किसी तरह
क्या एक और झलक, मेरी तक़दीर में नहीं ?
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