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19:23, 3 नवम्बर 2007 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=साहिर लुधियानवी
|संग्रह=
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मैं पल-दो-पल का शायर हूँ, पल-दो-पल मेरी कहानी है ।
पल-दो-पल मेरी हस्ती है, पल-दो-पल मेरी जवानी है ॥
मुझ से पहले कितने शायर आए और आ कर चले गए,
कुछ आहें भर कर लौट गए, कुछ नग़में गा कर चले गए ।
वे भी एक पल का क़िस्सा थे, मैं भी एक पल का क़िस्सा हूँ,
कल तुम से जुदा हो जाऊंगा गो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ ॥
मैं पल-दो-पल का शायर हूँ, पल-दो-पल मेरी कहानी है ।
पल-दो-पल मेरी हस्ती है, पल-दो-पल मेरी जवानी है ॥
कल और आएंगे नग़मों की खिलती कलियाँ चुनने वाले,
तुम से बेहतर कहने वाले, तुम से बेहतर सुनने वाले ।
कल कोई मुझ को याद करे, क्यों कोई मुझ को याद करे
मसरुफ़ ज़माना मेरे लिए, क्यों वक़्त अपना बरबाद करे ॥
मैं पल-दो-पल का शायर हूँ, पल-दो-पल मेरी कहानी है ।
पल-दो-पल मेरी हस्ती है, पल-दो-पल मेरी जवानी है ॥