Changes

लिप्सा / सविता सिंह

974 bytes added, 18:32, 4 नवम्बर 2007
New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सविता सिंह |संग्रह=नींद थी और रात थी }} पत्थर के नीचे दब...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सविता सिंह
|संग्रह=नींद थी और रात थी
}}

पत्थर के नीचे दबी घास के पास भी एक कहानी है

जिसे सुनती रहती है बगल में बहती नदी

घास की सफ़ेद जड़ों से जीवन पाने वाले

छोटे-छोटे जीव ही इसके पात्र हैं

सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों के भी आख़िर अपने संसार हैं

सत्य और असत्य की अपनी भूमिकाएँ हैं यहाँ भी

दुविधाओं हताशाओं क्रूरताओं के बीच

यहाँ भी राज करती है लिप्सा ही इस संसार से
Anonymous user