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{{KKRachna
|रचनाकार=सविता सिंह
|संग्रह=नींद थी और रात थी
}}

एक उजाड़ है अब वह जगह

जहाँ पहले एक झील थी

जहाँ से नारसिसस के पैरों की आवाज़ अब भी आती है


वह वहीं गई है

खोजने फूलों भौरों तितलियों को

बेशुमार दूसरे जीवों को

पानी को हरियाली को


वह जाएगी मृत्यु तक लाने वापस

वह सब कुछ जो नारसिसस के साथ डूब गया था

लाएगी किसी तरह उस सौन्दर्य को

जो दोबारा ध्वस्त न होगा
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