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कलिंग-विजय / रामधारी सिंह "दिनकर"
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{{KKRachna
|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"
|संग्रह=सामधेनी
/ रामधारी सिंह "दिनकर";इतिहास के आँसू
/ रामधारी सिंह "दिनकर"
}}
{{KKCatKavita}}
पर, डिगे तिल-भर न वीर महीप;
थी जला करुणा चुकी तब तक विजय का दीप।
</poem>
'''रचनाकाल: १९४१'''
</poem>
Lalit Kumar
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