{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=भोजपुरी
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<poem>मित्रो भेद बताओ महावीर उस लंका के,<br>जो दहन किया गढ़ लंका के ना।<br>कवन बात पर महावीर ने भेष बनाया बन्दर का ?<br>कितना लम्बा कितना चौड़ा पानी रहा समुन्दर का ?<br>पूरब पच्छिम उत्तर दक्खिन था पहाड़ दशकन्धर का ?<br>कौन तरफ से गये महावीर, भेद जो पाये अन्दर का ?<br>विभीषण से मुलाकात हुआ कब, दिन रहा कि रात ?<br>जाकर बजा दिया ओ डंका जो दहन किया गढ़ लंका का।<br>कै मिनट के अन्दर पकड़ा महावीर बलवान को ?<br>कौन दूत ने खबर दिया था, जाकर सभा में रावन को ?<br>उसी दूत का नाम बता दो, आज सभा में धावन को।<br>परी रहा कि देव रहा, कि था लड़का उ ब्राह्मन का ?<br>पूँछ में कपड़ा कौन लपेटा, था किस निस्चर का बेटा ?<br>फूंका घर वो पहले किसका, महावीर ने जाकर के ?<br>नर -नारी सब जले थे कितने बताओ तू गा करके ?<br>रहा कौन समय ओ बेरा, उसने पूंछ कै दफे फेरा ?<br>गुजरा कै दिन शंका का, जो दहन किया गढ़ लंका का।<br>गोरे काले मरे थे कितने, बिगे गये उठा करके ?<br>हिसाब करके जरा बता दो आज हमें समझा करके।<br>किस जंगल की थी वो लकड़ी गदा बना बलधारी का ?<br>उस बढ़ई का नाम बताओ काम किया मिनकारी का ?<br>वजन बता दो उस गदा का महावीर बलधारी का।<br>कहे शिवनन्दन खोलो भेद, दिल से हटाकर संका का।<br>जो दहन किया था लंका का।<br><br/poem>