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कमल नयन परदेस हे भावनि<br /> राम लखन सिया वन वन के सिधारल, धय लेल तापसि के भेष, हे भावनि कमलनयन परदेस<br />वन पग आसन वन पग भोजन, वन-वन रहति नरेश हे, भावनि कमल नयन परदेस<br />अवध अन्हार भेल एक रघुपति बिनु, जैसे वन लागत कुदेस, हे भावनि कमल नयन परदेस<br />मातु कैशल्या करूणा करत हे, क्यों नहीं कहत उद्देस, हे भावनि कमल नयन परदेस<br />तुलसीदास प्रभु तुम्हरे दरस को जाही वन उगल दिनेस, हे भवनि कमल नयन परदेस<br /><br /><br />
'''यह गीत श्रीमति रीता मिश्र की डायरी से'''