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घर की याद / भवानीप्रसाद मिश्र
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19:17, 12 अक्टूबर 2013
गिर रहा है आज पानी,
याद
अता
आता
है भवानी,
उसे थी बरसात प्यारी,
रात-दिन की झड़ी
-
झारी,
खुले सिर नंगे बदन वह,
अनिल जनविजय
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