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हूं मजबूर हूं । / कृष्ण वृहस्पति
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04:20, 16 अक्टूबर 2013
|संग्रह=
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}<poem>रात रै खनै
नींद है, सुपना है
थक्योड़ी सांसां नै सिरा‘णो है।
Sharda suman
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