|संग्रह=
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{{KKCatMoolRajasthaniKKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita}}<poem>ओजी ओ हदक मिजाजी ओ ढोला
मतना सिधाऔ पूरबियै परदेस
रैवो नै अमीणै देस |
च्यार टकां की थारी नोकरी, लाख टकां की नार
ओजी नणदलबाई रा ओ वीरा, मतना सिधाऔ
पूरबियै परदेस, रैवो नै अमीणै देस |</poem>