{{KKRachna
|रचनाकार=शशि सहगल
|संग्रह=कविता लिखने की कोशिश में / शशि सहगल
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<poem>
मुझे तलाश है
एक सिर की,
देखिये मेरी बात सुनकर हँसिये नहीं
हँसना है/तो हँस लीजिये
जी हाँ
सिर ही कहा है मैंने
<Poem>ऐसा सिर शाम के वक़्तजो सोच सकता होथकी, अकेली चिड़ियाऐसा सिरभरती है उड़ानजो खड़ा रह सकता होताकती है आसमानअगणित प्रलोभनों के खिलाफआतुरता ऐसा सिर जो आदमी की पहचान खेमों से ढूँढ रही है अपना साथीन करता हो।कहाँ ऐसा सिर जो दीवार पर लिखी इबारतपहचानता होआवाज़ दो, आवाज़ दोऐसा सिर ऐसा सिर ऐसा सिरकहाँ हे ऐसा सिर?
</poem>