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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita}}<poem>साजन घरां पधारिया, छोड़ परायो देश !
सावण बरसा बादली, अतरी अरज विशेष !!
हिवडे हरख विशेष व्हे, जद साजन घर आय !
मन री मौजां मर रही, सावण सूखो जाय !!
साजन सैणां समझग्या, आया छोड़ विदेश !
सावण तू भी समझ जा, बरसा मेह विशेष !!</poem>