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आखरां री आंख सूं / नवनीत पाण्डे
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06:32, 16 अक्टूबर 2013
|संग्रह=
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}<poem>म्हैं देखूं , थूं देखै, सैंग दिखै
अपणै आप नै, दूजां नै
इण भोम, आभै नै
Sharda suman
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