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सीसे रै सामीं लुगाई / प्रमोद कुमार शर्मा
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|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
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Poem
poem
>
के सोचती होवैली वा
जद होवै ऐकली !
कीं ना कीं तो सोचती हुवैली
सीसै रै सामीं बैठी लुगाई।
</Poem>
Sharda suman
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