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थे कत्ली हो / राजूराम बिजारणियां
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15:11, 16 अक्टूबर 2013
जोऊं ताकड़ी री काण.!
का़़
का
फेर-
प्रीत रै बैण
मिलाऊं नैण
लिखदयूं आपरै नांव
भळै अेक कत्ल
.
.!!
</poem>
आशिष पुरोहित
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