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नुंवै धान री सुगन !/कन्हैया लाल सेठिया
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|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
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<Poem>
मत पाड़ बगत रो माजनूं
जे पलट्यो ओ पाछो
पाड़ोसी रै झूंपै में खदबदतै
नुंवै धान री सुगन !
</Poem>
आशिष पुरोहित
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