|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया
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पसरगी
न्हा‘र गांव रै नाडियै में
जेठ री कंवारी दोपारी,
देख‘र छोरी नै ऐकली
करै कुचेरणी अचपळा ऊन्दरा
बा मांडै चील री छयां
भाग‘र बड़ज्या बिल में !
</Poem>