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अबखायां उलळै / राजेन्द्र स्वर्णकार
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|रचनाकार= राजेन्द्र स्वर्णकार
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
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KKCatRajasthaniRachna
}}<poem>अबखायां उलळै हद - अणहद ,
जबरजिना सजनां री है !
नंग - मलंगा रंग जमावै ,
Sharda suman
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