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सुपारी / हरीश बी० शर्मा
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|रचनाकार=हरीश बी० शर्मा
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poem
Poem
>सरोते रे बीच फंसी सुपारी
बोले कटक
अर दो फाड़ हुय जावै
अर सुभाव है-स्वाद देवणों
तो ओळभो अर शबासी कैने
***
</poem>
Sharda suman
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