Changes

सुपारी / हरीश बी० शर्मा

152 bytes added, 09:33, 17 अक्टूबर 2013
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=हरीश बी० शर्मा|संग्रह=}}{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>सरोते रे बीच फंसी सुपारी
बोले कटक
अर दो फाड़ हुय जावै
अर सुभाव है-स्वाद देवणों
तो ओळभो अर शबासी कैने
***
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,131
edits