गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कैबत आळी कविता : दो / सुनील गज्जाणी
51 bytes added
,
10:06, 17 अक्टूबर 2013
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुनील गज्जाणी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}<
poem
Poem
>जळ छिब रौ सौ सार दोनां रौ
हूंवता कम-बेसी राजीनां सागै-सागै
किरकिरी बणता माणखै रै बीच
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,137
edits