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अंधारपख / श्याम महर्षि
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|संग्रह=अड़वो / श्याम महर्षि
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बिताऊं हूं सारी रात
अर हिचकू
इण काळी सुरंग सूं निकळ नैं !
</poem>
Sharda suman
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