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11:03, 23 अक्टूबर 2013 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=महेन्द्र मिश्र
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|संग्रह=प्रेम व श्रृंगार रस की रचनाएँ / महेन्द्र मिश्र
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<poem> मोरा पिछुअरवा रे नींबुआ के गछिया ए ननदिया मोरी रे।
नींबुआ चुबेला आधी रात, ए ननदिया मोरी रे।
ओही आधी रतिया के चुनरी रंगवलीं ए ननदिया मोरी रे।
चुनरी भइली टहकार ए ननदिया मोरी रे।
तीसिया के तेलवा में माथावा बंधवली ए ननदिया मोरी रे।
केसिया गइल लटियाय, ए ननदिया मोरी रे।
माथा मीसे गइनी रामा बाबा के इनरवा ए ननदिया मोरी रे।
टिकुला गिरेला मंझधार ए ननदिया मोरी रे।
माथावा मीसत में लगले हाथ के झिटिकिया न ननदिया मोरी रे।
नाक के लवंगिया का दू होय ए ननदिया मोरी रे।
गोर तोड़ा लागी रे भइया रे मलहवा ए ननदिया मोरी रे।
मोरा टिकुला दीतऽ ना निकाल, ए ननदिया मोरी रे।
कहत महेन्दर देबों दुनू कान सोनवाँ ए ननदिया मोरी रे।
भउजी के देबो गले हार, ए ननदिया मोरी रे।
</poem>