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06:06, 26 अक्टूबर 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरकीरत हकीर
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<poem>
वक़्त की
हथेली पर
पड़ी दरारों ने
आह भरी
और धीमे से कहा
रखूँ मैं पैर किस जगह ?
हर दरार में नफरतें
रिश्तों की कब्र
खोदी बैठी हैं …. !!
</poem>
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