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{{KKGlobal}}{{KKLokRachna|रचनाकार=अज्ञात}}{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=अवधी}}{{KKCatAwadhiRachna}}<poem>देबी अंगन मोरे आयीं निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ <br>काऊ देखि देबी मगन भईं हैं काऊ देखि मुस्कानी -2<br>निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ<br> सेनुर देख देबी मगन भईं हैं बिंदिया देख मुस्कानी<br>निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ<br>चूडिया देख देबी मगन भईं हैं कंगना देखि मुस्कानी<br> निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ<br>लहंगा देखि देबी मगन भईं हैं चुनरी देखि मुस्कानी<br>निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ <br> पायल देखि देबी मगन भईं हैं बिछिया देखि मुस्कानी<br>निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ<br> रानी देखि देबी मगन भईं हैं बालक देखि मुस्कानी<br> निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ<br>देबी अंगन मोरे आयीं निहुरी कै मै पईयाँ लागूँ<br/poem>-०-
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