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जंगल में आग / सुभाष काक

25 bytes added, 05:40, 14 नवम्बर 2013
|रचनाकार=सुभाष काक
|संग्रह=मिट्टी का अनुराग / सुभाष काक
}}{{KKCatKavita}}<poem>
जंगल के बीच
लहराते वृक्षों को देख
में झूल रहे थे,
आहुति बनकर।
</poem>