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चीड़ के जंगल खड़े थे देखते लाचार से / गौतम राजरिशी
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19:44, 21 नवम्बर 2013
रात भर आवाज देता है कोई उस पार से
{गर्भनाल, अंक 49
त्रैमासिक बया, अप्रैल-जून 2013
}
</poem>
Gautam rajrishi
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