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14:13, 22 नवम्बर 2013 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=गंगासागर शर्मा
|संग्रह=
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<poem>समंध-सगपण री गरमास में
जद-कद खोल नाखूं
अंतस रा राज
पण जद
वैं बातां
बण जावै अखबार
आखै गांव सारू
तो काळजै जागै कसक।
राज बतावणो
म्हारी भावुकता है
कै मजबूरी?</poem>
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