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वैभव के अमिट चरण-चिह्न / अटल बिहारी वाजपेयी
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11:00, 29 अप्रैल 2008
हिज्जे
}}
विजय का पर्व ! <br>
जीवन संग्राम की काली घड़ियों में<br>
क्षणिक पराजय के छोटे-छोट क्षण<br>
अमावस के अभेद्य अंधकार का—<br>
अन्तःकरण
अन्तकरण
<br>
पूर्णिमा का स्मरण कर<br>
थर्रा उठता है।<br><br>
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Sumitkumar kataria