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जब से देखा है तिरे हाथ का चांद / नासिर काज़मी
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12:40, 15 अप्रैल 2008
}}
जब से देखा है तिरे हाथ का
चाँद
चांद
<br>मैंने देखा ही नहीं रात का
चाँद
चांद
<br><br>
जुल्फ़-ए-शबरंग के सद राहों में<br>
मैंने देखा है तिलिस्मात का
चाँद
चांद
<br><br>
रस कहीं, रूप कहीं, रंग कहीं<br>
एक जादू है ख़यालात का
चाँद
चांद
<br>
Pratishtha
KKSahayogi,
प्रशासक
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प्रबंधक
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