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जब से देखा है तिरे हाथ का चाँदचांद<br>मैंने देखा ही नहीं रात का चाँदचांद<br><br>
जुल्फ़-ए-शबरंग के सद राहों में<br>
मैंने देखा है तिलिस्मात का चाँदचांद<br><br>
रस कहीं, रूप कहीं, रंग कहीं<br>
एक जादू है ख़यालात का चाँद चांद<br>