761 bytes added,
22:04, 13 दिसम्बर 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=किरण राजपुरोहित ‘नितिला’
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}<poem>रात्यूं जागता स्हैरा मांय
आखी रात
बावळो-सो घूमै अंधारो
जाग्यां सोधतो
घड़ी दोय घड़ी
लेवण नींद।
अठीनै देखो-
म्हारै गांव
जेठ रै आकरै तावड़ै मांय ई
छियां नैं लाधै ठौड़
खेजड़ली रै हेठै
वा तिरपत लेवै नींद।</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader