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मज़दूरों का गीत / गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
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10:04, 12 जनवरी 2014
भाग्य का हमें भरोसा दिया,
विभव सब अपने वश में किया ।
जहा~म
जहाँ
तक बना रक्त पर लिया,
वज्र की छाती, पत्थर हिया ।
किसी ने ज़ख़्मेदिल कब सिया,
अनिल जनविजय
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