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ज़ख़्म-ए-तन्हाई में ख़ुश्बू-ए-हिना किसकी थी / 'मुज़फ्फ़र' वारसी
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07:07, 13 जनवरी 2014
मैं ने बीनाइयाँ बो कर भी अंधेरे काटे
किके
किसके
बस में थी ज़मीं
,
अब्र-ओ-हवा किस की थी
छोड़ दी किस लिये तू ने 'मुज़फ़्फ़र' दुनिया
जुस्तजू सी तुझे हर वक़्त बता किसकी थी
</poem>
Sharda suman
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