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18:51, 30 जनवरी 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=उत्तमराव क्षीरसागर
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<poem>ये दुनिया है
आते हैं आनेवाले
जाते हैं जानेवाले,
सेतु नहीं है
फिर भी
इस पार से उस पार तक
उस पार से इस पार तक
आते हैं आने वाले......
-1997 ई0</poem>