{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नवनीत पाण्डे|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}KKPustak<poem>जहां पहुंच कर|चित्र=Chhutehuyesandrabh.jpgहोंठ हो जाते हैं गूंगे|नाम=सच के आस-पासआंखें अंधी और कान बहरे|रचनाकार=[[नवनीत पाण्डे]]समझ|प्रकाशक= बोधि प्रकाशन,नासमझजयपुरऔर मन|वर्ष= 2013अनमनापूरी हो जाती है हदहर |भाषा कीअभिव्यक्ति बेबसबंध, निर्बंधसंवेदन की इति से अथ तक=हिंदी|विषय= कविता, कहानी, उपन्यासलेखन की हर विधा से बाहर|शैली= मुक्त छन्दजो नहीं बंधते किसी धर्म,संस्कार,|पृष्ठ=समाज, देश, काल, वातावरण जाल में|ISBN=नहीं बोलते कभी|विविध=काव्यकिसी मंच, सभा, भीड़, एकांत,}}शांत-प्रशांत मेंभरे पड़े हैंजाने कहां-कहां इस जीवन मेंइसी जीवन के* [[छूटे हुए संदर्भ (कविता) / नवनीत पाण्डे]] * [[ / नवनीत पाण्डे]]<* [[ /poem>नवनीत पाण्डे]]