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<poem>
 
भूल गया है तू अपना पथ,
 
और नहीं पंखों में भी गति,
 किंतु लौटना पीछे पथ पर अरे, मौत से भी है बदतर ।बदतर।खग ! उडते रहना जीवन भर !  
मत डर प्रलय झकोरों से तू,
 
बढ आशा हलकोरों से तू,
 क्षण में यह अरि-दल मिट जायेगा तेरे पंखों से पिस कर ।कर।खग ! उडते रहना जीवन भर !  
यदि तू लौट पडेगा थक कर,
 
अंधड काल बवंडर से डर,
 प्यार तुझे करने वाले ही देखेंगे तुझ को हँस-हँस कर ।कर।खग ! उडते रहना जीवन भर !  
और मिट गया चलते चलते,
 
मंजिल पथ तय करते करते,
 तेरी खाक चढाएगा जग उन्नत भाल और आखों पर ।पर।खग ! उडते रहना जीवन भर !  
</poem>
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