गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
चलो हम दोनों चलें वहां / नरेन्द्र शर्मा
7 bytes removed
,
04:18, 6 फ़रवरी 2008
बांस के झुरमुट में चुपचाप <br>
जहां सोये नदियों के कूल<br><br>
हरे जंगल
के
के बीचो बीच<br>
न कोई आया गया जहां<br>
चलो हम दोनों चलें वहां<br><br>
Anonymous user
208.102.208.181