गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
खेल यह जीवन-मरण का / गोपालदास "नीरज"
3 bytes removed
,
04:54, 7 मार्च 2014
खत्म हो सकता नहीं यह खेल बाकी साँस जब तक
वह नया कच्चा खिलाड़ी खेल के जो बीच ही में
पूँछता
पूछता
है साथियों से बन्द होगा खेल कब तक
इसलिए फ़िर से जुटा जो खो गया उत्साह मन का।
आज तो अब बन्द कर दो खेल यह जीवन-मरण का।
</poem>
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,137
edits