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दम / हरिऔध
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05:44, 19 मार्च 2014
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<poem>
क्यों लिया यह न सोच पहले ही।
आप तुम बारहा बने यम हो।
हैं खटकते तुम्हें किये अपने।
क्या अटकते इसी लिए दम हो।
</poem>
Gayatri Gupta
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