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आतंकवाद / रफ़ीक शादानी
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15:25, 23 मार्च 2014
<poem>
बुरे काम का बुरा नतीजा
भीतर से मन बोला
.
पाए गए जब नोट का गड्डा
तन डोला मन डोला
.
रामलला पर फेकै आए
कुछ लोगै हथगोला
.
उनइ के हथवन में
दग्गा हो गए उड़नखटोला
.
यहकी ख़ातिर करो ज़िहाद
मिटे विश्व से आतंकवाद
.
पांच के नालायक औलाद
तोसे तो अच्छे ज़ल्लाद
.
बड़े बहादुर बनत हौ बेटा
आए के देखो फैज़ाबाद
.
</poem>
Sharda suman
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